Saturday, June 14, 2014

अमावस रात में ..!!






अमावस रात में चाहूँ, ज़रा सा झिलमिलाऊँ ...!!

कभी खुद से ही छूप छूप कर,
कभी खुद में ही छूप छूप कर ,
वो तनहा दिल के धड़कन से
अनूठा राग सा पा लूँ....... 

कभी सागर की लहरों में,
कभी बारीश  की बूंदो में,
मगन मझधार में भी चाहूँ,
कि उस तिर को पा लूँ.....

वो सूखे डाल  पेड़ों के ,
वो रूठे पत्ते पेड़ो  से,
पँछी के चहक से भी
ज़रा सा धुन चुरा लाऊँ… 

कभी है साथ हर पल का,
कभी तनहा हूँ मैं कल का,
हर क्षण तो है अपना
कभी यह सोच मुस्काऊ ……

अमावस रात में चाहूँ, ज़रा सा झिलमिलाऊँ…!!

-Ziddi Satya