Thursday, November 24, 2011

आँखों की किंवार में बंद ..



आँखों  की किंवार  में बंद ..

सुबह ,दोपहर , शाम ,..निशाचर ..
पत्ते , झरने , आकाश के रंग ..
बालों का घुन्घरालापन ..
बर्फ का जमता- पिघलता ,
शोर में वो अनजानापन ..
आँखों से हँसना..और वो तस्वीरों में दिखना ..
पल क्षण , क्षण- क्षण बदलती
लहरों का लहराना ..
अदाओं का बलखाना ..
उलझे सुलझे वो सारी सूरत..

आँखों  की किंवार  में बंद ..

एक पल ,या हर पल ..
सितार के तारों जैसा
इन्द्रधनुष के सात रंग ...
बादलों को  निचोरता ...
वो बूंदों का टपकाना
शोर है  ...या सूनापन
दिलों से मुस्काना ..और शीशे में झांकना
हंसी वो रेशम जैसी .. खोजना
एक निर्मित , पर  धुंधली सी ..
वक़्त -बेवक्त वही मूरत

आँखों  की किंवार  में बंद ..!!

---- thanks to atri didi..(initiated by her ..she wrote 1st stanza )..those were so beautiful lines and  worked as a catalyst for me  to write another stanza..

n more today (25th nov )


एक सपना , या सच्चाई
भटकते परिंदे जैसा
आज़ाद , गगन में  आशियाना खोजता ..
वो तारों का झिलमिलाना ....
ग़म है उनकी  , या मुस्कान
नयनों से सोना ..और ख्वाबों को आंकना
सच्चाई एक कड़वी जैसी ..देखना
एक निर्णित , पर बिखड़ी सी..
दूर भी और पास भी ..वही जन्नत ..

आँखों की किंवार में बंद  ...!!!


--continued on 30th nov..:)

एक निंदिया , जागा या सोया - सोया सा..
ऊँघता.. पर सपनों से लदा...
करवटों में  फँसता...
उलझना या उलझाना ..
साहस है ये ..या पागलपन ..
कुछ अपूर्व ..तो कुछ घटित ..
जीवन के पट पर ...देखना
एक निर्भीक और हठी सा...
कैद भी ..आज़ाद भी ..वही हिम्मत..
आँखों की किंवार में बंद.....!!!

--last 1 hope so...:p

एक दरिया ..लगता अपना सा..
हर वक़्त साथ..
कभी  व्यथित ..तो कभी उमंग में..
तटबंधों को तोड़ता ...
हंसना ..या रुलाना ..
जाने में ..या अनजानापन..
कुछ कथित ..तो कुछ अकथनीय  ..
बिना सुनाये ..बोलना ..
एक ध्वनि ,अपने धड़कन सा....
खुश की भी और ग़म की भी  ..वही आहट..
आँखों की किंवार में बंद...!!!


Ziddi Satya

Friday, September 23, 2011

hiding from my heart ...it hurts..!!!


Hiding from my heart ..it hurts!!!








Only heart says right  but why its voice is silent..
When I sink in the sea of life , it shows me an island..












To you, I might look glad....with shaking  hands and saying a 'hi'..
To you, I might be cheering …saying  hurrah..on going so high…








But how can I show the feeling of my heart....
Which never questions , but always looks for the reply….
a reply which is not mine..like a star with some shine,
a reply which makes it’s smile..like carrying happiness from thousandsof miles..












If tears  roll down  ,I could hide it in rain…
If you hurt me, I can bear  that pain..
But how would I wipe the tears of my heart…
So hiding from my heart ..it really hurts..!!!









There is always conflict between heart n mind…
Mind thinks , then says .. but heart is very kind..
It  silently  says.......  without bothering mind…
true smile comes , when I  follow it being blind..
















Why the heart is always true?
Why its smile is always true?
Why its beat  sounds a rhythm..
Oh!! "SHE" lives there!! That’s the clue !!

















Why was I hiding from my heart? It seems worst.
Now I am listening to my heart .. ..I blindly trust..!!








--hu hu huuuuu  mazaaa aa gaya ..first trial in English..:) grt job sat ...!!.


Tuesday, June 28, 2011

कुछ काम तो है ही...!!!



जुबाँ को बिन खोले ,
चाहता हूँ ,..बोलूं 
नयनों को खोलू मैं 
फिर भी न बोलूं



आ जा संग मेरे आ 
बदल घनेरे आ,
रोना है है संग मेरे 
मिटना है संग मेरे ..
दिन के उजाले आ 
संध्या के आँचल में 
सोना है संग मेरे .
पंक्षी ,तू न चहक 
देखकर मुझे ,न हँस
भवरे, अब तो ठहर 
छोड़ कलियों का शहर ,


समंदर की लहरें , थम
ग़म थोड़े ही है कम ...

फिर भी तू लहरों सा..
उठना न करना बंद 
जा समीर अब तू भी जा 
थोडा सा रंग ले आ ...
फूलों और कलियों से ,
परियों की गलियों से
धुप और छांव में ,
शहरों में भी ,गाँव में ..
रंगना है हर कण को,
जीवन के हर क्षण को ...





परदे के पीछे सायद अँधेरा है ,
जब तक 'तू' है ,
तब तक सबेरा है ..
चलो फिर भी ,
तेरा नाम तो है ही ..
जीने के लिए ,
कुछ काम तो है ही...

---
written when coming back  by train to Patna after taking admission in WBUT ...:p(July 2006)

Tuesday, June 7, 2011

खुशियों को मिल जाये ख़ुशी..!!!

कमज़ोर नहीं मैं इतना भी,
बस ह्रदय ज़रा सा भावुक है ..
मन की बातें तो कह भी दूँ ,
पर दिल तो बिल्कुल ही मूक है..

कुछ स्वप्न में देखा था तुमको ,
था वास्तव का एहसास नहीं ..
पर देखा जब नयनों से,
तो सोचा तुम क्यों पास नहीं ..





















मैं साहस से साहस करता ,
उस चंदा को छू लेने की ..
यह सोच के भी मैं डर जाता ,
उसको प् कर खो देने की...

है मज़ा को मिलता मज़ा नहीं ,
जो मिल जाये कुछ ऐसे ही ...
खुशियों को मिल जाये ख़ुशी ,
आ गले लगो तुम जैसे ही...!!!



























----August '10 (during a journey  from Kolkata to my native village)..

हो गया सफ़ल मैं जीवन में ...!!!

था राही मैं एक तनहा ,
या तनहा थी रह कन्ही..
जो चलने को चलना ही हो,
तो तनहाई ही , साथ सही..
























जब चलने को तैयार हुआ ,
तो उनका मिल जाना क्यों???
अगर नहीं था मिलने को ..
फिर फूलों का खिल जाना क्यों??




















आज मिला जो मंजिल को ,
तो उनका था साथ नहीं ...
ह्रदय बटें थे टुकरों में ,
फिर भी कोई आघात नहीं .




















बड़ा मधुर वो वक़्त रहा ,
जो निंदिया को सोते देखा..
पर अनुभव ये कटु बड़ा 
जो आंसू को रोते देखा...





















मुख तो अब भी बोल रहे ,
पर सुनने को आवाज़ नहीं..
हर राज़ दबा लूँ सिने में ,
पर छिपने की कोई राज़ नहीं..























है प्रेम भरा हर क्षण में ,
फिर एक क्षण पे टिक जाना क्यों ??
हो खुद का जीवन ही एक प्रेम ,
फिर दूजे पे मिट जाना क्यों ??




















है मुस्कानों का पेड़ खड़ा ,
बीजों को बोते देखा है ..
हो गया सफ़ल मैं जीवन में ,
जो प्रेम को होते देखा है.....!!!!





























--written one  year back . It became special for me. As during my campusing I used to recite this in HR-round ,(in TCS and  Xorient Solutions, fortunately/unfortunately I was selected in TCS but not in Xorient :p..) to show writing Hindi poems as one of my  hobby.


















hu hu huuuuuuuuu  :D !!!



My First Post

Hi all

I have ceated this blog "Expresso..!!!" to express myself. 
Let's see , how much expressive I am ..;)